प्रतिष्ठित साहित्यकार डा. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा है कि रामायण और महाभारत में स्वतंत्रता के प्रेरक तत्व समाहित है और महात्मा गांधी सहित कई स्वतंत्रता सेनानी इन दोनों महाकाव्य से प्रेरणा लेते थे।
डॉ. तिवारी ने मंगलवार को यहां साहित्य अकादमी के साहित्योत्सव के चौथे दिन “महाकाव्यों की स्मृतियाँ, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में उद्घाटन वक्तव्य देते हुए कहा कि महात्मा गाँधी जहाँ रामायण से प्रेरणा लेते थे तो बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और विपिनचंद्र पाल, गीता से प्रेरणा लेते रहे, जोकि महाभारत का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सत्याग्रह और स्वराज जो गाँधीजी के सबसे बड़े शस्त्र थे। वे तुलसीदास की रामचरित मानस से ही उन तक पहुँचते हैं।
बीज वक्तव्य देते हुए प्रख्यात सामाजिक सिद्धांतकार एवं आलोचक आशीष नंदी ने कहा कि समाज की आंतरिक संवेदना हमारे महाकाव्यों में ही संरक्षित है। हमारे महाकाव्य जीवन के प्रति ज्यादा विविधता के साथ सोचने का अवसर देते है। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि इन दोनों महाकाव्यों में हमारी जातीय स्मृतियाँ संरक्षित है।
साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि भारत की आंतरिकता इन दोनों महाकाव्यों में बसती है।